Modern Parenting अगर आप अपने बच्चे की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं तो ये पालन-पोषण के 5 तरीके अपनाएँ।

हर माता-पिता अपने बच्चे को बेहतरीन बचपन देना चाहते हैं, लेकिन आजकल बच्चों को संभालने के तरीके पहले से बहुत अलग हैं। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि आपको भी इन चीजों के बारे में कुछ पता न हो। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में आधुनिक पालन-पोषण से जुड़ी कुछ तरकीबें बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों को एक अच्छा भविष्य दे सकते हैं।
हर माता-पिता की इच्छा होती है कि वे अपने बच्चों का पालन-पोषण अच्छे से करें।
समय के साथ, पालन-पोषण की शैली में भी बहुत बदलाव आया है।
 वर्तमान पालन-पोषण से जुड़ी युक्तियों को अपनाकर, आप अपने बच्चे को एक अच्छा इंसान बना सकते हैं।
बच्चे के जन्म से लेकर उसके बड़े होने तक या उसके बाद भी, बच्चे के हर व्यवहार के लिए माता-पिता को दोषी ठहराया जाता है। अगर बच्चा अच्छा इंसान बनता है तो माता-पिता को सबसे ज्यादा खुशी होती है, लेकिन अगर बच्चा कोई गलत काम करता है तो माता-पिता को लोगों के सबसे ज्यादा ताने सुनने पड़ते हैं।
हो सकता है कि आपके पालन-पोषण में कोई कमी न हो, लेकिन समय की मांग ऐसी है कि पुराने ज़माने में बच्चों की परवरिश के लिए अपनाए जाने वाले तरीके आज किसी काम के नहीं रह गए हैं। ऐसे में आज हम आपको आधुनिक पालन-पोषण के 5 तरीके बताएंगे, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को अच्छे आदते अछे गुण दे सकते हैं। आइए जानते हैं।
आज कल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बच्चों को समय देना बहुत ज़रूरी है। तनाव से जूझ रहे इस युग की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि माता-पिता उन्हें रोकते तो हैं, लेकिन कभी बैठकर उनका नज़रिया जानने की कोशिश नहीं करते। ऐसे में आपको अपने व्यस्त शेड्यूल में हर दिन उनके लिए कुछ समय निकालना चाहिए।

कई बार ऐसा देखा गया है कि जब बच्चा कोई गलती करता है तो एक मां- बाप में से कोई एक उसे डांटता है, जबकि दूसरा उसे बचाने की कोशिश करता है। ऐसे में आपको बता दें कि यह तरीका बिल्कुल गलत है। माता-पिता होने के नाते बच्चे से जुड़े फैसलों पर आप दोनों का एकमत होना जरूरी है, ताकि उसे ऐसा न लगे कि उसे डांटने वाला व्यक्ति उससे प्यार नहीं करता।

ऐसा कहा जाता है कि माता-पिता बच्चे के पालन-पोषण में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। ऐसे में याद रखें कि आपको उन चीजों को नहीं दोहराना चाहिए जिनसे आप उन्हें वंचित कर रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो बच्चों के सामने एक अच्छा उदाहरण बनने की कोशिश करें, ताकि वे आपसे केवल सकारात्मक आदतें ही सीखें।
बढ़ती उम्र से निपटने के लिए माता-पिता को यह समझना होगा कि लाड़-प्यार के साथ-साथ डांट-फटकार और डर भी जरूरी है। कई बार देखा जाता है कि अगर दोनों में से कोई भी चीज कम या ज्यादा हो जाए तो बच्चे जिद्दी और मनमौजी हो जाते हैं। ऐसे में लाड़-प्यार में संतुलन बनाए रखें और बच्चों के लिए अच्छे और बुरे के बीच के अंतर को समझने की कोशिश करें।
पहले के समय में माना जाता था कि बच्चे में जो अच्छे गुण होते हैं, वो उसकी मां की वजह से होते हैं और उसके पालन-पोषण की असली जिम्मेदारी भी मां के कंधों पर होती है। ऐसे में आपको बता दें कि आज ऐसा नहीं है। आजकल की शिक्षा में कहा जाता है कि जब बच्चे के पालन-पोषण में मां और पिता दोनों की जिम्मेदारी होती है, तो उसे अच्छा इंसान बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ मां की नहीं होती। इसलिए माता-पिता को भी बच्चे के प्रति अपनी जिम्मेदारी साझा करके दोनों की सलाह से निभानी चाहिए।

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